।। बढ़ा दे तू पवित्रता इस गंगा की,
हटा दे तू दरिद्रता इस गंगा की,
स्वच्छता तो गहना है गंगा का,
हर हर गंगे, नमामि गंगे…
चढ़ा दे तू जुनून सिर पर,
पहुंचा दे हर घर यह संदेश,
“पवित्रता तो गहना है गंगा का”
हर हर गंगे, नमामि गंगे…
स्वच्छ रख इसे तू घर की तरह,
सम्मान कर इसका तू माँ की तरह,
पहुंचा दे अखिल भारत में तू यह संदेश,
हर हर गंगे, नमामि गंगे…
पूजा गंगा कि, है पूजा महेश कि,
स्वच्छता गंगा कि, है स्वच्छता महेश कि,
गुंजा दे यह नाद तू, अखिल भारत में,
हर हर गंगे, नमामि गंगे…।।
लेखक: नंदन त्रिवेदी