स्वच्छता ही सेवा है

तू घर को अपने स्वच्छ बना, बीमारियां यूँ चली जाएगी,

तू देश को अपने स्वच्छ बना, लोगों की आयूँ बढ़ती चली जायेगी,

इंसानियत का लिहाज रख थोड़ा, इस देश को तू यूँ ना कूड़ा दान समज,

जिस देश में पवित्र गंगा बहती हो, उस देश के कण-कण मैं शिवजी का वास है, यह तू समज,

इस भारतवर्ष को तू “स्वच्छमेव जयते” के नारे से सजा, तू इस देश को स्वच्छता के गहनों से सजा…

“२०१९ तक गांधीजी के स्वच्छ भारत के स्वप्न को साकार करना हमारा कार्य है और इससे बड़ी सेवा कुछ नहीं हो सकती।”

जय हिंद…।

लेखक: नंदन त्रिवेदी